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आईएएस ऑफिसर बनने के लिए सालों तक मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं किया,साध्वी की तरह समझदार जिंदगीजानिए परी बिश्नोई की कहानी

स्पॉटसी की परीक्षा को देश की सबसे कठिन परीक्षा माना जाता है और हर साल लाखों की संख्या में उम्मीदवार इस परीक्षा को पास करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं। आपको बता दें कि हर साल लाखों लोगों की आशंकाएं एजाजेक्शन देती हैं लेकिन कुछ ही चीजों के करीब होती हैं।

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कुछ ऐसे ही दृश्य होते हैं जो अपने परिश्रम के समान इस बड़ी परीक्षा में सफलता प्राप्त करके दिखाते हैं और ऐसा ही है राजस्थान की एक बेटी परी बिश्नोई ने। महज 24 साल की उम्र में साल 2019 में उन्होंने ऐसी कठिन परीक्षा को पास कर दिखाया।

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राजस्थान के बीकानेर की रहने वाले पर बिश्नोई का जन्म 26 फरवरी 1996 को हुआ था। उनके पिता मनीराम बिश्नोई एक वकील हैं। वहीं, उनकी मां सुशीला बिश्नोई मंगलवार को जीआरपी थानाधिकारी हैं। यही वजह है कि उन्हें घर में बचपन से लेकर पढ़ाई का माहौल मिला हुआ है। हालांकि उनका आईएएस बनने का सफर इतना आसान नहीं था।

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आईएएस परी बिश्नोई अपने समाज की पहली महिला आईएएस अधिकारी हैं। उनकी पहली पढ़ाई सेंट मैरी कॉन्वेंट स्कूल में हुई। उन्होंने 12वीं कक्षा में ही ठान लिया था कि वह एक आईएएस अधिकारी बनेंगी। इसी के चलते 12वीं क्लास के पास से परी राजधानी दिल्ली आ गई थी। यहां डीयू से ग्रेजुएशन की और यूपीएससी की तैयारी में लग गए।

आईएएस परी बिश्नोई ने मंगलवार के एमडीएस यूनिवर्सिटी से पॉलिटेक्निक साइंस में पोस्ट ग्रेजुएशन पूरा किया। उन्होंने प्रलोभन के खिलाफ तीन बार कागज दिए। इसी बीच परी ने नेट-जे स्ट्रेट परीक्षा पास कर ली थी।

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साल 2019 में परी ने यूपीएससी परीक्षा के तीसरे प्रयास में 30वीं रैंक हासिल की। एक इंटरव्यू में परी बताती हैं कि उन्होंने यूपीएससी की तैयारी के लिए सोशल मीडिया से दूरी बना ली थी। उस दौरान वो मोबाइल भी इस्तेमाल नहीं करते थे। वो पूरी तरह से एक साध्वी का जीवन व्यतीत करती थीं। उनकी कहानी लाखों युवाओं को प्रेरित करने वाली है।

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