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पापा चले गए थे बस उसी बेटी ने फोन किया और कहा पापा मैं आईएएस बन गई,जानिए आईएएस प्रीति गुड्डा की

हमारे देश में हर साल लाखों की संख्या में टकटकी जैसी कठिन परीक्षाएं दी जाती हैं लेकिन कुछ प्रत्यक्ष देखने को मिलती हैं। लाखों की संख्या में भ्रम देखते हैं लेकिन मुश्किलों के आगे हार मान लेते हैं और आगे की धारणा नहीं रखते हैं।

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कहते हैं ना कि जब मनुष्य दिल से मेहनत करे तो उसके लिए कुछ भी मुश्किल नहीं होता। हर साल लाखों की संख्या में जुड़ाव इस परीक्षा को देते हैं लेकिन मुश्किलों के आगे घुटने टेक देते हैं। लेकिन कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जो मुश्किलों से जूझते रहते हैं और तब तक हार नहीं मानते जब तक कि वह अपना सपना पूरा नहीं कर लेते।

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आज हम आपको प्रीति हुड्डा की कहानी वाले हैं जो मुश्किलों से लड़ने के आगे कभी भी अपने सपने को साकार करने का जुनून नहीं छोड़ते और अंत में वह अपने पापा के सपने को साकार करने के लिए बताने के लिए अधिकृत अधिकारी बन गए।

प्रीति का जन्म और बचपन की पलकें हरियाणा के बहादुरगढ़ (जो कि दिल्ली की सीमाओं पर पड़ी हैं) में हुआ था। उनके पिता दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) में बस ड्राइवर थे। जाट समाज से आने वाली प्रीति बचपन से ही एक अच्छा होस्ट था।

कई लोग चाहते थे कि उसकी शादी हो जाए लेकिन प्रीति हो जाना चाहती थी और वह पढ़ने में बहुत ही अच्छी थी इसलिए उन्होंने सोचा कि मैं किसी हाल में अपना सपना पूरा करके दिखाऊंगा।

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खुद के इस फैसले में उनके परिवार के लोगों ने भी भरपूर सहयोग दिया। पिता भी चाहते थे कि उनकी बेटी आईएएस बने और पिता के सपने देखकर खुद के भविष्य के लिए प्रीति ने डे नाइट वर्क की। हालानाकिस के पहले प्रयास में प्रीति की असफलता मिली लेकिन बावजूद इसके प्रीति ने अपना हांसला नहीं तोड़ा। इसके बाद उन्होंने 2017 में 288 रैंक हासिल की और आईएएस अधिकारी बनकर अपने पिता का सपना पूरा किया।

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