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कोचिंग के लिए नहीं थे पैसे,कठिन परिश्रम के व्यस्त अखबार बेचने वाले की बेटी बनी IAS, शिवजीत भारती की कहानी

बार-बार हम देखते हैं कि लाइफ में लिफ्ट-अपलोड होता है और एक्स-क्लैवेशन के आगे कुछ लोग हार मान लेते हैं लेकिन कुछ ऐसे लोग होते हैं जो मुश्किलों से हारते नहीं हैं और अपनी जिंदगी में बार-बार आगे बढ़ते हैं।

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हमारे देश में ज्यादातर लोग स्टेपसी की परीक्षा देते हैं और चाहते हैं कि उन्हें सफलता मिले लेकिन हर लोगों को सफलता नहीं मिलती। यूएससी की परीक्षा पास करने के लिए आपको कठिन परिश्रम की आवश्यकता होती है क्योंकि बिना कठिन परिश्रम के ऑफिस परीक्षा को पास नहीं कर सकते हैं।

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देश के कोने-कोने पर कई ऐसे बच्चे होते हैं जो लुकसी की तैयारी करते हैं और अभिलाषा की तैयारी के दौरान वह कोचिंग पढ़ते हैं लेकिन कुछ ऐसे भी बच्चे होते हैं जो बिना कोचिंग के यह परीक्षा क्रैक कर लेते हैं।

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इस तरह की सफलता का सपना हर देखता है लेकिन 26 साल की शिवजीत भारती की तरह गिने-चुने ही ऐसे हैं, जो सभी बाधाओं को पार कर अपने सपने सच कर सकते हैं जिन 48 छात्रों ने हरियाणा सिविल सेवा (एग्जीक्यूटिव) परीक्षा (चिचच) ) पास की है, जिसमें से भारती भी एक हैं, जो एक सामान्य परिवार से प्रकट होते हैं। हरियाणा के जयसिंहपुरा गांव में भारती के पिता अखबार बेचने का काम करते हैं।

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पिता अखबार बेचने का काम करता है

भारती के पिता गुरनाम सैनी सूरज बाजार से पहले जगते हैं और अखबार बांटने का काम करते हैं उन्नीह साल में सिर्फ 4 छुटियां ही मिलती हैं। भारती की मां शारदा सैनी बेलीबाड़ी में काम करती हैं। भारती के अनुसार कम आय में अच्छी शिक्षा प्राप्त करना बिल्कुल होता है, लेकिन कड़ी मेहनत कर पढ़ाई करना और सरकारी नौकरी हासिल करना उनकी प्राथमिकता थी।

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