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बेहद चमत्कारी है पुतना का हनुमान मंदिर, यहां के दर्शन मात्र से पुरे होते हैं सारे मन्नत,जानिए क्या है इसकी मान्यता

पूर्वांचल का हनुमान मंदिर को लेकर कई तरह की बातें कही जाती हैं। आपको बता दें कि शनिवार और मंगलवार के दिन हनुमान मंदिर में बड़ी संख्या में भक्त आते हैं। इस हनुमान मंदिर को लेकर कई तरह की मान्यताएं हैं।

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हनुमान मंदिर में नैवेद्य का प्रसाद चढ़ाया जाता है और साथ ही शनिवार और रविवार को यहां बड़ी संख्या में भक्त झुकते हैं। कहा जाता है कि हां दर्शन मात्र से सारे संकट दूर हो जाते हैं।

इस मंदिर में आने वाले शीशे नवाने से भक्तों का मनोकामना प्रकट होता है। इस मंदिर को हर दिन लगभग एक लाख रुपये की राशि विभिन्न मदों से प्राप्त होती है। स्वामी बालानंद ने 1730 में इस मंदिर की स्थापना की थी। वर्ष 1900 तक यह मंदिर रामानंद संप्रदाय के अधीन नहीं था।

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इसके बाद इसपर 1948 तक इसपर गोसाईं संतों का कब्जा रहा। वर्ष 1948 में पूर्व हाई कोर्ट ने इसे सार्वजनिक मंदिर घोषित कर दिया। उसके बाद अंश किशोर कुणाल के प्रयास से वर्ष 1983 से 1985 के बीच वर्तमान मंदिर का निर्माण हुआ और आज इस भव्य मंदिर के द्वार सबके लिए खुले हैं।

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इस मंदिर का मुख्य द्वार उत्तर दिशा की ओर है और मंदिर के गर्भगृह में भगवान हनुमान की मूर्तियां हैं। इस मंदिर में सभी देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं। यहां की एक खास बात यह है कि यहां रामसेतु का पत्थर के शीशे के पर्दे में रखा गया है। इस पत्थर का वजन 15 किलो है और यह पत्थर पानी में तैरता रहता है।

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यह मंदिर बाकी हनुमान मंदिरो से कुछ अलग है, क्योंकि यहां बजरंग बली की युगल मूर्तियां एक साथ हैं। एक मूर्ति परित्राणाय साधूनाम् अर्थात लोगों के अच्छे काज पूर्ण करने वाली है और दूसरी मूर्ति- विनाशाय च दुष्कृताम्बु, अर्थात बुरे लोगों की बुराई दूर करने वाली है।

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