जानिए KKR को जीत वाले क्रिकेटर रिंकू सिंह की कहानी, पिता गैस वेंडर, भाई ऑटो ड्राइवर, आसान नहीं था क्रिकेट बनने की यात्रा

रिंकू ने 1 चौका और 6 छक्के लगाए और अपनी टीम केकेआर को शानदार जीत दी। पर उनकी यात्रा केकेआर तक पहुंचना आसान नहीं रहा। उनका बचपन काफी गरीबी में गुजरा है। एक-एक करके जानिए उनके जीवन के सभी पहलू:-
रिंकू सिंह की बेहद रोमांचक यात्रा…
रिंकू सिंह अलीगढ़ के रहने वाले हैं और करीब पांच साल से केकेआर का हिस्सा हैं। 25 वर्षीय इस खिलाड़ी को अक्सर शानदार फील्डर और युवा प्रतिभा कहा जाता था। लेकिन दुनिया के लिए यह बाकी सब जानना बाकी था कि यह युवा शानदार एक बल्लेबाज भी है। ऐसा ही उन्होंने गुजरात टाइटंस के इस मैच में करके दिखाया है। लेकिन यह तो उनकी सफलता के दिन इसी बीच दुनिया को अब उनकी गुरबत भरी जिंदगी के बारे में भी पता चल रहा है। रिंकू एक बहुत ही गरीब परिवार के थे। जिस गेंद को आज वह बाउंड्री के पार मार रहे थे कभी-कभी उनके पास एक मामूली पांच रुपये की गेंद भी खरीदने के पैसे नहीं थे।
उनके पिता एक गैस सिलेंडर वेंडर थे। उनके चार और भाई हैं। कोई ऑटो चालू था तो कोई कहीं काम नहीं करता था। दो घंटे की रोटी भी रिंकू के घर में बड़े परिश्रम से निष्कर्ष निकला था। रिंकू परिवार में सबसे छोटे थे उनके पिता उनके क्रिकेट में गुस्सा करते थे, लेकिन उनमें से कई नंबर थे। बचपन से ही मानो उनके दिमाग ने ऐसा बना दिया था। फिर धीरे-धीरे समय का आकलन किया गया और रिंकू भी वाइज होते गए।
उन्हें भी घर का गुजारा करना था तो काम करने लगे। वह एक कोचिंग सेंटर में अस्पष्ट छायाचित्र थे। क्रिकेट के लिए जुनून उनके मन में बचपन से था। अचानक रिंकू ने नौकरी छोड़ दी और क्रिकेट की तरफ बढ़ने का मन बना लिया। उन्हें एहसास हुआ कि क्रिकेट ही उनके परिवार के दुखों को दूर करेगा।
रिंकू की जिंदगी के तीन टर्निंग पॉइंट्स
भगवान इस दुनिया में अपने नहीं होते लेकिन उन्हें अगर कोई बना देता है तो किसी का किसी के रूप में आना और बन जाना तय है। ऐसा ही रिंकू की जिंदगी में हुआ। रिंकू के जीवन को बदलने में तीन लोगों का बहुत बड़ा योगदान रहा है। रिंकू सिंह खुद का भविष्य क्रिकेट में बनाने की ठान चुके थे। उनके सभी भाई उनके साथ देते थे। इसी बीच वह दो बार अंडर-16 ट्रायल के पहले राउंड में निकल गई। ऐसा इसलिए क्योंकि उन्हें प्रॉपर ट्रेनिंग नहीं मिल पा रही थी। ऐसे में अलीगढ़ के मोहम्मद जीशान उनकी मदद के लिए आगे आए। इसके बाद रिंकू सिंह को शुरूआती दिनों में अलीगढ़ के ही मसूद अमीन से कोचिंग मिलने लगी।